2002 से 2007 तक भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत Aerospace Scientist Dr. A. P. J. Abdul Kalam का पूरा नाम Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam है।
‘मिसाइल मैन’ के नाम से मशहूर पूर्व राष्ट्रपति Dr. A. P. J. Abdul Kalam का जन्म एक सामान्य परिवार में 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था. कलाम जी ने हमेशा ही अपने परिवार को छोटी-बड़ी मुश्किलों से जूझते देखा था और इसी वज़ह से कम समय में ही समझदार हो गए ।
कलाम जी ने चार दशक तक वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया । इस बीच उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन और रक्षा शोध और विकास संगठन में अपना सम्पूर्ण योगदान देकर देश को प्रगति के मार्ग पर अग्रसित किया और इन्हीं के प्रयासों से भारत एक परमाणु संम्पन्न राष्ट्र बन पाया ।
Dr. A. P. J. Abdul Kalam ने वर्ष 1962 में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ ज्वाइन किया और भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय प्राप्त किया। कलाम जी को भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक के रूप में जाना जाता है ।
इन्होंने 20 वर्ष तक भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन में कार्य किया और लगभग इतना समय ही उन्होंने रक्षा शोध और विकास संगठन में दिया । वह 10 वर्षों तक डीआरडीओ के अध्यक्ष भी रहे, इसके साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रुप में योगदान दिया। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी मिसाइलों के लिए स्वदेशी तकनीक का निर्माण किया, जिस कारण से इन्हें मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है |
मिसाइल मैन Dr. A. P. J. Abdul Kalam ने साहित्यक रूप से अपने विचारों को 4 पुस्तकों में विभाजित किया हैै:-
- इंडिया 2020 ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम
- माई जर्नी
- इग्नाइटेड माइंड्स
- अनलीशिंग द पावर विदीन इंडिया
कैसे अदृश्य हुए Dr. A. P. J. Abdul Kalam ??
कलाम जी 27 जुलाई 2015 को शाम के समय में डॉ कलाम शिलोंग में योग्य ग्रह पर अपना लेक्चर दे रहे थे, उस समय अचानक लेक्चर देते समय उनको दिल का दौरा पड़ गया और वह जमीन पर गिर गए, उनको तुरंत ही अस्पताल ले जाया गया, जहाँ पर उन्हें मृत्यु घोषित कर दिया गया और इस तरह Dr. A. P. J. Abdul Kalam जी दुनियां से अदृश्य हो गए।
जानिए Dr. A. P. J. Abdul Kalam का स्वभाव:-
कलाम जी अपने आप को सबके समान मानते थे। वे कहा करते कि ‘मै भी आप लोगो के बराबर का ही व्यक्ति हूँ Dr. A. P. J. Abdul Kalam सभी धर्मो का सम्मान करते थे और कुरान और गीता दोनों का अध्ययन करते थे । वह किसी भी धर्म और ग्रन्थ को छोटा या बड़ा नहीं मानते थे । उन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन को देश की सेवा में समर्पित कर दिया। मै कलाम जी को दिल से धन्यवाद करता हूं।
तथा आपसे आशा करता हूं कि आपको हमारी ये जानकारी पसन्द आई होगी।। धन्यवाद्।।
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